5 Essential Elements For Shodashi
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कामपूर्णजकाराख्यसुपीठान्तर्न्निवासिनीम् ।
श्री-चक्रं शरणं व्रजामि सततं सर्वेष्ट-सिद्धि-प्रदम् ॥३॥
Goddess is popularly depicted as sitting down around the petals of lotus that is certainly stored to the horizontal physique of Lord Shiva.
The most revered between these is definitely the 'Shodashi Mantra', that is mentioned to grant equally worldly pleasures and spiritual liberation.
पद्मरागनिभां वन्दे देवी त्रिपुरसुन्दरीम् ॥४॥
It really is an knowledge with the universe inside the unity of consciousness. Even inside our ordinary condition of consciousness, Tripurasundari is definitely the attractiveness that we see on earth all over us. What ever we perceive externally as wonderful resonates deep inside of.
यस्याः विश्वं समस्तं बहुतरविततं जायते कुण्डलिन्याः ।
ஓம் ஸ்ரீம் ஹ்ரீம் க்லீம் ஐம் ஸௌ: ஓம் ஹ்ரீம் ஸ்ரீம் க ஏ ஐ ல ஹ்ரீம் ஹ ஸ க ஹ ல ஹ்ரீம் ஸ க ல ஹ்ரீம் ஸௌ: ஐம் க்லீம் ஹ்ரீம் ஸ்ரீம்
The legend of Goddess Tripura Sundari, also called Lalita, is marked by her epic battles versus forces of evil, epitomizing the Everlasting wrestle in between very good and evil. Her tales are not simply stories of conquest but also Shodashi have deep philosophical and mythological importance.
कामेश्यादिभिराज्ञयैव ललिता-देव्याः समुद्भासितं
Goddess Lalita is worshipped through different rituals and procedures, which include visiting her temples, attending darshans and jagratas, and executing Sadhana for equally worldly pleasures and liberation. Every single Mahavidya, which includes Lalita, has a particular Yantra and Mantra for worship.
सर्वोत्कृष्ट-वपुर्धराभिरभितो देवी समाभिर्जगत्
सा देवी कर्मबन्धं मम भवकरणं नाश्यत्वादिशक्तिः ॥३॥
यह साधना करने वाला व्यक्ति स्वयं कामदेव के समान हो जाता है और वह साधारण व्यक्ति न रहकर लक्ष्मीवान्, पुत्रवान व स्त्रीप्रिय होता है। उसे वशीकरण की विशेष शक्ति प्राप्त होती है, उसके अंदर एक विशेष आत्मशक्ति का विकास होता है और उसके जीवन के पाप शान्त होते है। जिस प्रकार अग्नि में कपूर तत्काल भस्म हो जाता है, उसी प्रकार महात्रिपुर सुन्दरी की साधना करने से व्यक्ति के पापों का क्षय हो जाता है, वाणी की सिद्धि प्राप्त होती है और उसे समस्त शक्तियों के स्वामी की स्थिति प्राप्त होती है और व्यक्ति इस जीवन में ही मनुष्यत्व से देवत्व की ओर परिवर्तित होने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर लेता है।